Sunday, March 10, 2024

आजमाइस

मैदान में शिकस्त की,

फिर से गुंजाइश हो,

उस शख्स के हौसले की,

फिर क्या आजमाइश हो?

कोई जीत भी जाए,

पर वो हारेगा क्या?

कि लड़खड़ाकर जिसको,

संभलने की ख्वाहिश हो। 


अजय अमिताभ सुमन

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