Friday, December 29, 2017

मेरा हिंदुस्तान




मंदिर की घंटी , गुरुवाणी और  मस्जिद का अजान,
और चर्च के प्रेयर से बनता ये हिंदुस्तान।



अजय अमिताभ सुमन 


कुकडु कु


एक मुर्गा सोचा सीना तान,
अब न कभी होगा बिहान,
जो मैं ना बोलूंंगा कुकडु कु,
हा हा ही ही हू हू हू।

पर मुर्गा ये सोच न सका,
सपने सच होते कहाँ भला,
बिन बोले ही हुआ बिहान,
मुर्गा ना बोला फिर कुकडु कु,
हा हा ही ही हू हू हू।

टूटा मुर्गे का फिर अभिमान,
सपना टूटा और हुआ ये ज्ञान,
कि बिन बोले भी हुआ  बिहान,
अब रोज बोलूंगा कुकडु कु,
हा हा ही ही हू हू हू।



अजय अमिताभ सुमन

दुख


दुख का है क्या,
ये भी कल जाएगा,
थम सा हुआ है ,
निकल जाएगा,

वक्त के समंदर को ,
बांधना है मुश्किल
न ठहरा कभी भी,
फिसल जाएगा।


अजय अमिताभ सुमन


Saturday, December 16, 2017

रावण या दुर्योधन-बेहतर कौन?


    ये टॉपिक हीं बड़ा विचित्र लगता है। कौन बेहतर रावण की  दुर्योधन? यदि राम और कृष्ण की बात की जाय, यदि गांधी और बुद्ध की बात की जाय . समझ में आती है . पर ये क्या की कौन बेहतर रावण की दुर्योधन ? ये भी भला कोई बात हुई .

हिटलर और मुसोलिनी में बेहतर कौन ?

चंगेज खान और मोहम्मद गजनी में बेहतर कौन ?

कंस और हिरण्य कश्यपु में बेहतर कौन ?

    थोड़ा अटपटा लगता है . पर मैं सोचता हूँ अगर नायकों की तुलना की जा सकती है , तो क्या खलनायकों की तुलना क्यों नहीं की जा सकती ?

    एक कहानी में नायक का उतना ही महत्त्व है जितना की खलनायक का . बिना रावण के राम जिस रूप में आज जाने जाते है , वैसे नहीं जाने जाते . बिना दुर्योधन के महाभारत नहीं होता , बिना महाभारत के गीता नहीं होती और गीता के बिना कृष्ण अधूरे है .


    बुराई में रावण की का कोई मुकाबला नहीं . तो दुर्योधन भी काम अहंकारी नहीं . दोनों के जीवन में काफी समानता है . रावण भी स्त्री की मर्यादा का हनन करता है , दुर्योधन भी . रावण सीता का अपहरण करता है , तो दुर्योधन द्रोपदी को निर्वस्त्र करने की . रावण भी अपने शत्रु को स्वयं के अहंकार में छोटा मानता है , तो दुर्योधन भी . रावण भी बाली के हाथों चोट खता है तो दुर्योधन भी चित्रसेन नामक गन्धर्व से हार जाता है . रावण के अहंकार पर बाली चोट पहुंचता है तो चित्रसेन नामक गन्धर्व से चोट खाकर मौत के कगार पर दुर्योधन भी पहुँच जाता है .रावण से पास भी मेधनाद , कुम्भकरण जैसे पुत्र और भाई है , तो दुर्योधन के पास भी अंगराज कर्ण है . युध्ह से पहले राम भी अंगद को संधि सन्देश के लिए भेजते है , तो कृष्ण स्वयं ही महाभारत से पहले शांति दूत बनकर दुर्योधन के पास जाते है , पर अहंकार वश रावण और दुर्योधन दोनों की शांति का प्रस्ताव ठुकरा देते है . रावण और दुर्योधन के अधार्मिक कर्मो से तंग आकर दोनों हीं के समन्धी युद्ध से पहले साथ छोड़ देते है . रावण का भाई विभीषण साथ छोड़कर राम से मिल जाते है , तो दुर्योधन का भाई युयुत्सु भी महाभारत शुरू होने से पहले पांडवों से मिल जाता है .
काफी सारी समानताएं होते हुए भी रावण और दुर्योधन में काफी सारी विषमताएं भी है जो दोनों को एक दूसरे से अलग सिध्ह करती है .

    रावण योद्धा है . अपनी सीमाएं जानते हुए भी जाकर बालि से अकेले ही भीड़ जाता है . दुर्योधन की तरह छल नहीं करता. याद कीजिए अभिमन्यु को मारने के लिए क्या क्या उपाय करता है . बल में रावण और दुर्योधन का मुकाबला नहीं . रावण लड़ाई में हनुमानजी पे भी कभी कभी भारी पड़ता है . रावण को हराने के लिए स्वयं राम जी को जाना पड़ता है . इधर दुर्योधन के सामने फीका पद जाता है . याद कीजिए ये वो ही  भीम है जो बूढ़े हनुमान जी की पूंछ भी नहीं हिला पाते हैं . ताकत के मामले में दुर्योधन रावण के सामने कहाँ टिकता है , इसका अनुमान आप लगा सकते हैं .


    अब स्त्रियों के प्रति सम्मान की बात करते हैं. चलिए ये मान लिया की रावण ने दुष्कर्म किया , माता सीता का हरण किया . पर वो भी किस लिए. जब उसकी बहन सूर्प नखा का अपमान किया जाता है , उसकी बहन सूर्प नखा के नाक काट लिए जाते हैं , तो उस बहन की अपमान का बदला लेने के लिए रावण माता सीता का अपहरण करता है . एक बात ये भी है रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में रखा जरूर , डराया भी , धमकाया भी , पर अनुचित व्यव्हार कभी नहीं किया .

    दुर्योधन के मन में स्त्रियों के प्रति कोई मान नहीं , कोई सम्मान नहीं . यहां तक की भरे दरबार में सबके सामने अपनी भाभी द्रौपदी को नग्न करने की चेष्टा से भी नहीं चुकता . इस तरह व्यव्हार रखता है दुर्योधन .

    बदले की भावना से रावण भी पीड़ित है , दुर्योधन भी , अहंकार से रावण भी पीड़ित है दुर्योधन भी. पर बदले की भावना से पीड़ित होकर रावण एक्सट्रीम पे नहीं जाता है , पर दुर्योधन हर तरह की सीमाएं लाँघ जाता है .

    ये सारी बातें लिख रहा हूँ इसका अर्थ ये नहीं की मैं रावण का समर्थक हूँ. रावण किसी भी तरह से अनुकरणीय नहीं है . अगर दुर्योधन जैसा पात्र इस तरह से व्यव्हार करता है तो इसके भी कारण है . बचपन से ही दुर्योधन अपने पिता के प्रति हुए अन्याय को देखता चला आ रहा है . उसकी जलन की अग्नि में घी डालने का काम उसका मामा शकुनि हमेशा करता आ रहा है , जबकि रावण को अनुचित काम करने पे रोकने वाली पत्नी मंदोदरी हमेशा साथ रहती है . रावण भी अपने भाई विभीषण के अच्छे विचारों का अनुपालन नहीं करता है . लेकिन इस बात को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता की दुर्योधन के पास भी तो अच्छे विचारों वाले विदुर है , फिर भी उनकी बात नहीं सुनता .

    रावण और दुर्योधन दोनों ही प्राचीन कथाओं के महा खलनायक है , फिर भी रावण का स्थान हमेशा बेहतर रहेगा.दुर्योधन अभ्यासी है . पुरे जीवन काल में कृष्ण हमेशा भीम को चेताते रहते हैं की तुम्हारे पास ताकत है तो दुर्योधन के पास अभ्यास . फिर भी दुर्योधन को जिद्दी खलनायक योद्धा के रूप में याद किया जाता है , परन्तु रावण को बहुत रूपों में जाना जाता है . रावण तपस्वी भी है , तपस्या से शिवजी को संतुष्ट करता है. ज्योतिष भी है. आज भी रावण संहिता ज्योतिष के अच्छे शास्त्र के रूप में जाना जाता है .

    कृष्ण के मन में दुर्योधन के प्रति कभी भी सम्मान नहीं रहा , पर राम के मन में रावण के प्रति सम्मान है . यहां तक की जब राम लड़ाई में रावण को हरा देते हैं तो स्वयं जाते है रावण के पास जीवन की शिक्षा प्राप्त करने हेतु .
और रावण भी क्या शिक्षा देता है . ये जीवन का निचोड़ है . की जीवन में यदि कुछ अच्छा करना तो कभी टालना नहीं चाहिए , अपने शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए , और अपने करीबी को अपना शत्रु कभी भी नहीं बनाना चाहिए .

    इधर दुर्योधन को मौत भी अजीब परिस्थिति में होती है . मरते हुए भी अपने भाइयों के मौत की कामना करते हुए मरता है .ये सारी घटनाएं रावण को दुर्योधन से बेहतर साबित करती है .




अजय अमिताभ सुमन

Friday, December 15, 2017

भगवन कितनी खूबसूरत है तेरी दुनिया


भगवन
कितनी खूबसूरत है तेरी दुनिया।

ये झरने का कल कल संगीत
ये चिड़ियों का चहचहाना,
ये फूलों की सुगंध,
ये क्षितिज के पार
बादलों की ओट से
सूरज का आ जाना।

फूल फूल पे नृत्य करते भौरें,
और आनंदमय मोर,
ये रंग बिरंगी तितलियाँ
और टर्र टर्र मेढकों का शोर।

दूर दूर तक लहलहाते पेड़
हवा के साथ झूमते मुस्कुराते,
और झूमती हरी भरी धरती
दूर दूर तलक पौधे लहराते।

आकाश में सूरज से
आँख मिचौली करते मेघ,
और ह्रदय स्पंदित
पंछियों की कतार देख।

काश¡¡¡¡¡


भगवन दे देते ऐसी टेक्नोलॉजी
कि
ये हरी भरी धरती
ये लहलहाते खेत,
ये फूलों की सुगंध
ये काले काले मेघ।

एक बक्शे में भरकर
ले जा पाता ,
ये
थोड़ा सा
पूरा आकाश,
अपने अपंग पिता के पास।



अजय अमिताभ सुमन

खुदा का इंसाफ



कौन कहता है खुदा इंसाफ नहीं करता,
पलंग गरीबों को नसीब नहीं,
और अमीरों को नींद।



                 
अजय अमिताभ सुमन

तस्वीर देश की



आजादी के बाद देश की बदल गयी तस्वीर,
जितने की बोरी चावल थी, नहीं मिले अब खीर।




अजय अमिताभ सुमन

अरिहत चिरंतन है



कह गए अनगिनत सन्तन है,
चित संलिप्त नित चिंतन है।
स्थितप्रज्ञ उपरत अविकल जो,
अरिहत चिरंतन है।


                   
अजय अमिताभ सुमन

अभिलाषा तुम बहुत खुबसूरत हो



तुम्हे पता है अभिलाषा
तुम कितनी खुबसूरत हो ।
देखना हो तो ले लो मेरी आँखे ।
कि चलती फिरती अजंता कि मूरत हो ।
तुम बहुत खुबसूरत हो।
पलकों के ख्वाब हो तुम
फूलों के पराग हो तुम ।
गाती जो गीत कोयल
वो गीत लाजवाब हो तुम ।
चांदनी चिटकती रातों में
और मदहोशी छा जाती है
ऐसी मनोहारी मुहुरत हो ।
सच में तुम बहुत खुबसूरत हो ।

जैसे चाँद बिना चकोर कहाँ
बिन बादल के मोर कहाँ ।
जैसे मीन नहीं बिन नीर के
और धनुष नहीं बिन तीर के ।
जैसे धड़कन का आना जाना
आश्रित रहता है सांसों पे
ऐसी मेरी जरुरत हो ।
अभिलाषा तुम बहुत खुबसूरत हो ।

मैं गरम धुप , तू शीतल छाया ।
मैं शुष्क बदन , तू कोमल काया ।
क्यूँ कर के ये मैं कह पाऊं
तू बन जाओ मेरा साया ।
मरुभुभी के प्यासे माफिक
मारा मारा मैं फिरता हूँ
जो एक झलक से बुझ जाये
ऐसी मोहक तुम सूरत हो ।
सच मुछ बहुत खुबसूरत हो ।

तेरा रूप अनुपम ऐसा कि
शब्द छोटे पड़ जातें है ।
ऐसी देहयष्टि तेरी कि
अलंकार विवश हो जातें है ।
बस यह कह चुप होता हूँ
नयनों से दिल पे राज करे
ऐसी शिल्पकार कि मूरत हो।
अभिलाषा बहुत खुबसूरत हो ।




अजय अमिताभ सुमन

आम आदमी पार्टी(AAP)



वादा किया जो मोदी ने 
पूरा करेंगा आप,
दिल्ली से शुरुआत हो चुकी
जनता करेगी राज.

जनता जाग चुकी है अब
बस है ये आगाज़,
बंद करो अब हाथ वालो
दिखाना सब्ज बाग़.

अब जाति धर्म के नाम में

नहीं बिकेगी जनता,
नेताओं के मकड़ जाल में
नहीं फसेगी जनता.

नहीं फसेगी जनता

 कि जन में अलख जगा रहे है,
अरविन्द सपने जो दिखा रहे
सच में निभा रहे हैं.


अजय अमिताभ सुमन 





जय हो , जय हो नितीश तुम्हारी जय हो .


जय हो , जय हो, 
नितीश तुम्हारी जय हो।

जय हो एक नवल बिहार की ,
सुनियोजित विचार की,
और सशक्त सरकार की,
कि तेरा भाग्य उदय हो,
तेरी जय हो।

जाति पाँति पोषण के साधन 
कहाँ होते ?
धर्मं आदि से पेट नहीं 
भरा करते।

जाति पाँति की बात करेंगे जो, 
मुँह की खायेंगें।
काम करेंगे वही यहाँ, 
टिक पाएंगे।

स्वक्षता और विकास, 
संकल्प सही तुम्हारा है।
शिक्षा और सुशासन चहुँ ओर ,
तुम्हारा नारा है।

हर गाँव नगर घर और डगर डगर,
हर रात दिन वर्ष और हर पहर। 
नितीश तुम्हारा यही सही है एक विचार,
हो उर्जा का समुचित सुनियोजित संचार। 

रात घनेरी बीती, 
सबेरा आया है,
जन-गण मन में व्याप्त 
नितीश का साया है। 

गौतमबुद्ध की धरा 
इस पावन संसार में,
लौट आया सम्मान 
शब्द बिहार में। 

हर गली गली में जोश 
उल्लास अब आया है,
मदमस्त बाहुबली थे जो
मलीन अब काया है।

बच्चे जो भटके हुए थे
नशे और शराब से,
बच्चियाँ सहमी हुई जो
दहेज के आधात से।

तुम्हारे संकल्प का हीं
नीतीश ये परिणाम है,
नशामुक्त प्रदेश है अब
आशायुक्त हर शाम है।

प्रथा ये दहेज की भी
कब तक टिक पाएगी,
नीतीश तुम्हारा प्रण अडिग हैै
एक दिन ये मिट जाएगी।
  
विश्वास मुझे है ए नीतिश 
भारत को सबक सिखाओगे,
विकास मंत्र है जनतंत्र की
तुम ये पाठ पढ़ाओगे। 

है बात दिले "अमिताभ" 
काश ये हो पाता,
भारत को भी एक नितीश 
अगर मिल पाता।

फिर जाति पाँति करने वाले 
मिट जायेंगे .
धर्मं आदि के जोंक कहाँ 
टिक पाएंगे।

फिर भारत का परचम 
चहुँ ओर लहराएगा,
आर्यावर्त का नाम 
धरा पे छाएगा।

भारत को भी अब 
इस नितीश की है तलाश,
सुधर नेता ही इस देश की
अन्तिम आश।

कुत्सित राजनीतिज्ञों का 
"अमिताभ" क्षय हो,
भारत तेरी शक्ति बढे 
आसिमित अक्षय हो।

ए राष्ट्र के प्रणेता
ए सुशासन कुमार,
कर रहे हम अभिनंदन
हो स्वीकार।

नितीश तुमको कोटि कोटि नमन
तुम अजय  हो,
तेरी जय हो, तेरी जय हो,
नीतीश तुम्हारी जय हो।


अजय अमिताभ सुमन 

Friday, December 8, 2017

मैं कौन हूँ



      मैं, मेरा मेरा घर,
          मेरा छोटा सा घर,  
          एक छोटे से गाँव में. 

      और गाँव,
     मेरा गाँव,
     मेरा छोटा सा गाँव,
     एक शहर के पास.
          वो शहर , एक शहर,
     वो छोटा सा शहर,
     मेरे इस देश में.  

          और देश,
     ये देश,
     मेरा एक देश,
     ऐसे सैकड़ो देश,
     इस धरती पे.

          और धरती,
     ये धरती,
     मेरी प्यारी धरती,
     मेरी छोटी सी धरती,
     घुमती गोल गोल,
     सूरज के चारों ओर,
     अन्य ग्रहों के साथ,
     सौर मंडल के हिस्से. 

          और सूरज,
     मेरा सूरज,
     मेरा प्यारा सूरज,
     घुमता गोल गोल,
     अपने सौर मंडल के साथ,
     अपने ग्रहों के साथ,     
     एक अकाश गंगा के पीछे. 

          और अकाश गंगा,
     मेरी अकाश गंगा,
     ये आकाश गंगा,
     जहाँ हजारों तारे,
     करोड़ो तारे,
     जनमते, बनते. 

          जहाँ ब्लैक होल्स,
     हजारों ब्लैक होल्स,
     कड़ोरों ब्लैक होल्स,
     अनगिनत ब्लैक होल्स.

          जहाँ तारे,
     हजारों तारे,
     कड़ोरों तारे,
     बिगड़ते, मिटते.

     और ऐसी आकाश गंगा,
     हजारों आकाश गंगा,
     करोड़ो आकाश गंगा,
     अनगिनत आकाश गंगा,
     जनमती आकाश गंगा,
     बिगड़ती आकाश गंगा,
     मिटती आकाश गंगा.

         और मैं इनका हिस्सा,
         अदना सा हिस्सा. 

          मैं , मेरा घर,
     मेरा छोटा सा घर.


        अजय अमिताभ सुमन 

मेरी परिभाषा



प्यार करोगे 
तो प्रेमी हूँ ,
गर दुलार
तो स्नेही हूँ ।

हताश हूँ
फटकार पे ,
निराश हूँ
दुत्कार पे ।

उपहास से हूँ 
क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से
द्वेषत्रस्त ।

नफरत
तिरस्कार का ,
इबादत 
उपकार का ।

अनादर पे
रोष हूँ मैं , 
प्रसंशा पे
मदहोश हूँ मैं ।

हार का
संताप हूँ ,
जीत की
उल्लास हूँ ।

सम्मान हूँ
जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ
जहाँ सादर है ।

भरोसे का 
विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की
आस हूँ मैं ।

भावों के संसार निरंतर
और इनके संप्रेषण ,
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।



अजय अमिताभ सुमन

रोज उठकर सबेरे , नोट कि तलाश में


रोज उठकर सबेरे , नोट कि तलाश में .
चलाना पड़ता है मीलों , पेट कि खुराक में .

सच का दमन पकड़ के , घर से निकालता है जो .
झूठ कि परिभाषाओं से , गश खा जाता है वो .

बन गयी बाज़ार दुनिया , बिक रहा सामान है .
जो है ऊँची जगह पे , उतना ही बेईमान है .

औरों की बातें है झूठी , औरों की बातो में खोट .
और मिलने पे सड़क पे , छोडे न एक का भी नोट .

तो डोलते नियत जगत में , डोलता ईमान है .
और भी डुलाने को , मिल रहे सामान है .

औरतें बन ठन चली है , एक दुकान सजाए हुए .
जिस्म पे पोशाक तंग है , आग दहकाए हुए .

तो तन बदन में आग लेके , चल रहा है आदमी .
ख्वाहिशों की राख़ में भी , जल रहा है आदमी .

खुद की आदतों से अक्सर , सच ही में लाचार है .
आदमी का आदमी होना , बड़ा दुशवार है .



अजय अमिताभ सुमन 




My Blog List

Followers

Total Pageviews