पुराना सा कोई मंजर, सीने में खल गया,
ये उठा दर्द और जी मचल गया।
बेफिक्री के आलम में यादों का खंजर,
चला तो क्या बुरा था, कि तू संभल गया,
अजय अमिताभ सुमन
इस ब्लॉग पे प्रस्तुत सारी रचनाओं (लेख/हास्य व्ययंग/ कहानी/कविता) का लेखक मैं हूँ तथा ये मेरे द्वारा लिखी गयी है। मेरी ये रचना मूल है । मेरे बिना लिखित स्वीकीर्ति के कोई भी इस रचना का, या इसके किसी भी हिस्से का इस्तेमाल किसी भी तरीके से नही कर सकता। यदि कोई इस तरह का काम मेरे बिना लिखित स्वीकीर्ति के करता है तो ये मेरे अधिकारों का उल्लंघन माना जायेगा जो की मुझे कानूनन प्राप्त है। (अजय अमिताभ सुमन: सर्वाधिकार सुरक्षित :Ajay Amitabh Suman:All Rights Reserved)
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