Thursday, November 30, 2017

कुत्ते



कुत्ते,
तीन तरह के होते है।

एक जो दुम हिलाते हैं,
आदतन।

कुत्ते जो दुम हिलाते है,
वो काटते नहीं,
तलवे चाटते नहीं।

दूजे जो तलवे चाटते है,
आदतन।

कुत्ते जो तलवे चाटते है,
वो  दुम हिलाते नहीं,
काटते नहीं।

तीजे जो काटते है,
आदतन।

कुत्ते जो काटते है,
वो तलवे चाटते नहीं,
दुम हिलाते नहीं।

और,

इन्सान,

दुम भी हिलाते है,
तलवे भी चाटते है,
काटते भी है।

जरुरतन।



अजय अमिताभ सुमन

Tuesday, November 28, 2017

तुम बहुत खुबसूरत हो



तूम्हे पता है अभिलाषा
तुम कितनी खुबसूरत हो ।
देखना हो तो ले लो मेरी आँखे ।
कि चलती फिरती अजंता कि मूरत हो ।
तुम बहुत खुबसूरत हो।
पलकों के ख्वाब हो तुम
फूलों के पराग हो तुम ।
गाती जो गीत कोयल
वो गीत लाजवाब हो तुम ।
चांदनी चिटकती रातों में
और मदहोशी छा जाती है
ऐसी मनोहारी मुहुरत हो ।
सच में तुम बहुत खुबसूरत हो ।

जैसे चाँद बिना चकोर कहाँ
बिन बादल के मोर कहाँ ।
जैसे मीन नहीं बिन नीर के
और धनुष नहीं बिन तीर के ।
जैसे धड़कन का आना जाना
आश्रित रहता है सांसों पे
ऐसी मेरी जरुरत हो ।
अभिलाषा तुम बहुत खुबसूरत हो ।

मैं गरम धुप , तू शीतल छाया ।
मैं शुष्क बदन , तू कोमल काया ।
क्यूँ कर के ये मैं कह पाऊं
तू बन जाओ मेरा साया ।
मरुभुभी के प्यासे माफिक
मारा मारा मैं फिरता हूँ
जो एक झलक से बुझ जाये
ऐसी मोहक तुम सूरत हो ।
सच मुछ बहुत खुबसूरत हो ।

तेरा रूप अनुपम ऐसा कि
शब्द छोटे पड़ जातें है ।
ऐसी देहयष्टि तेरी कि
अलंकार विवश हो जातें है ।
बस यह कह चुप होता हूँ
नयनों से दिल पे राज करे
ऐसी शिल्पकार कि मूरत हो।
अभिलाषा बहुत खुबसूरत हो ।




अजय अमिताभ सुमन

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