Friday, April 28, 2023

हिंदू कौन

 हिंदू कौन, 

क्या कोई पंथ या मजहबी विकृति है?

नहीं, गठजोड़ है संस्कृतियों का ,ये सबकी स्वीकृति है।
हिंदू वो भी हैं जो भगवान को मानते हैं,
हिंदू वो भी हैं जो भगवान को ना मानते है,
और वो भी जो खुद को हिंदू नहीं मानते हैं।
यहां योगी के लिए योग तो भोगी के लिए भोग है ,
भक्ति,नृत्य, ज्ञान,तंत्र, मदिरा भी ना अवरोध है।
तभी तो इसमें हैं कृष्ण भी शिव भी ,प्रभु राम भी,
चार्वाक भी इसी में तो खानखाना रहमान भी।
बुद्ध , गोरख, कबीर ,नानक, इसमें रविदास भी,
महावीर, साईबाबा , तो मीरा, सूरदास भी।
आदमी तो आदमी पत्थर का भी उपयोग है,
मतों में है विरोध पर विरोध में सहयोग है।
जिसमें शामिल हैं सब जो सबमें युक्त है,
हिंदुत्व कोई बंधन नहीं ये सर्वबंधन मुक्त है।

अजय अमिताभ सुमन

Sunday, April 23, 2023

हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,


हवाओं पर कोई  कहानी लिखूं,

अपनी मैं क्यों जिंदगानी लिखूं?

लहरें क्या सागर में बनना बिछड़ना है ,

मिट्टी का जीवन मिट्टी में बिखरना है,

हंसना कभी रोना निखरना बिफरना,

है जन्मों की आदत पुरानी लिखूं?

हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,

अपनी मैं क्यों जिंदगानी लिखूं?


अजय अमिताभ सुमन

Saturday, April 8, 2023

बाजार में मिला नहीं

 तू भी क्या चीज है कि 

नाम का गिला नहीं,

शोहरत  की दौड़ में थे 

सब तू हिला नहीं।


नफासत के पीछे 

कुछ विरासत के पीछे ,

कुछ रोजी और रोटी 

सियासत  के पीछे।


एक तू है कि नाम ना 

काम की  फिकर है,

बदनाम भी है पूरा 

फिर भी बेफिकर है?


रियासत की दौड़ में थे 

सब तू मिला नहीं,

माजरा ये क्या है  

बाजार में  हिला  नहीं?


अजय अमिताभ सुमन

सर्वाधिकार सुरक्षित

Saturday, April 1, 2023

भाप बना पानी सागर से

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पानी का स्वभाव है ऊपर से नीचे को बहना। आप पानी को कहीं भी रख दें, वो सर्वदा नीचे की ओर बहता है, फिर चाहे वो नदिया हो या कि झरना। पानी को अपने स्वभाव से विपरित दिशा में , यानी कि नीचे से ऊपर ले जाने में अथक परिश्रम करने पड़ते हैं, फिर चाहे कि वो नीचे से छत पर हीं ले जाना क्यों ना हो। लेकिन मिट्टी का जल पौधों में जड़ों द्वारा खींचकर पत्तों पर ले जाना कैसे संभव हो पाया? आखिर कौन सी वो शक्ति है जो पौधों में पानी को अपने स्वभाव के विपरित दिशा में , अर्थात नीचे से ऊपर की ओर जाने को बाध्य करती है?
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भाप बना पानी सागर से
बादल पर ले जाता कौन
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भाप बना पानी सागर से, 
बादल पर ले जाता कौन?
और भाप को बुंद बना फिर,
सागर में बरसाता कौन?
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छत से  तल को नीचे पानी ,
बहते बहते खुद हीं जाय,
किंतु ऊपर छत को पानी ,
चढ़े नहीं बिन किए उपाय।
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क्योंकि नीचे से पानी खुद ,
ना ऊपर को  चढ़ पाता है,
श्रम करने पड़ते कितने पानी ,
से तब नर लड़ पाता है।
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पर अज्ञात पेड़ में कैसे, 
पानी पत्तों  पर गढ़ जाए?
मिट्टी का पानी जड़ से ये, 
कैसे ऊपर को चढ़ पाए?
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नीचे से ऊपर को पानी,  
पौधों में रख आता कौन?
भाप बना पानी सागर से,
बादल पर ले जाता कौन?
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और भाप को बुंद बना फिर,
सागर में बरसाता कौन?
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अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित 
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