जंजीर
जहाँ आदम की जात और बाते हों पीर की।
प्यादे की चाल और बातें वजीर की।
खेत हो किसानों के गेहूं अमीर की।
अमन के नाम पर बातें हो तीर की।
देख कहीं तो क्या हिंद आ गये है हम?
कि चीखती पुकार पर बाते जंजीर की।
अजय अमिताभ सुमन
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जंजीर
जहाँ आदम की जात और बाते हों पीर की।
प्यादे की चाल और बातें वजीर की।
खेत हो किसानों के गेहूं अमीर की।
अमन के नाम पर बातें हो तीर की।
देख कहीं तो क्या हिंद आ गये है हम?
कि चीखती पुकार पर बाते जंजीर की।
अजय अमिताभ सुमन
पुराना सा कोई मंजर, सीने में खल गया,
ये उठा दर्द और जी मचल गया।
बेफिक्री के आलम में यादों का खंजर,
चला तो क्या बुरा था, कि तू संभल गया,
अजय अमिताभ सुमन