Saturday, April 27, 2024

जंजीर

जंजीर


जहाँ आदम की जात और बाते हों पीर की। 

प्यादे की चाल और  बातें वजीर की। 

खेत हो किसानों के गेहूं अमीर की। 

अमन के नाम पर बातें हो तीर की। 

देख कहीं तो क्या हिंद आ गये है हम? 

कि चीखती पुकार पर बाते जंजीर की। 


अजय अमिताभ सुमन

Sunday, April 21, 2024

खंजर

पुराना सा कोई मंजर, सीने में खल गया,

ये उठा दर्द और जी मचल गया। 

बेफिक्री के आलम में यादों का खंजर,

चला तो क्या बुरा था, कि तू संभल गया,


अजय अमिताभ सुमन

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