Thursday, July 8, 2021

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-4


कार्य दूत का जो होता है अंगद ने अंजाम दिया ,
अपने स्वामी रामचंद्र के शक्ति का प्रमाण दिया।
कार्य दूत का वही कृष्ण ले दुर्योधन के पास गए,
जैसे कोई अर्णव उदधि खुद प्यासे अन्यास गए।

जब रावण ने अंगद को वानर जैसा उपहास किया,
तब कैसे वानर ने बल से रावण का परिहास किया।
ज्ञानी रावण के विवेक पर दुर्बुद्धि अति भारी थी,
दुर्योधन भी ज्ञान शून्य था सुबुद्धि मति मारी थी।

ऐसा न था श्री कृष्ण की शक्ति अजय का ज्ञान नहीं ,
अभिमानी था मुर्ख नहीं कि हरि से था अंजान नहीं।
कंस कहानी ज्ञात उसे भी मामा ने क्या काम किया,
शिशुओं का हन्ता पापी उसने कैसा दुष्काम किया।

जब पापों का संचय होता धर्म खड़ा होकर रोता था,
मामा कंस का जय होता सत्य पुण्य क्षय खोता था।
कृष्ण पक्ष के कृष्ण रात्रि में कृष्ण अति अँधियारे थे ,
तब विधर्मी कंस संहारक गिरिधर वहीं पधारे थे।

जग के तारण हार श्याम को माता कैसे बचाती थी ,
आँखों में काजल का टीका धर आशीष दिलाती थी।
और कान्हा भी लुकके छिपके माखन दही छुपाते थे ,
मिटटी को मुख में रखकर संपूर्ण ब्रह्मांड दिखाते थे।

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

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