Saturday, June 22, 2024

मर्ज

आजादी से पहले, आजादी से आज तक, 
बदलते रहे ईलाज, पर मर्ज वही आज तक। 
ये मुल्क है जनाब, थे एक नहीं कल भी ,
हाँ अब भी बिखरे हुए, कि दर्द वही आजतक। 
टुकड़े हुए थे देश के,जिस शक ओ शुबहा पर,
जमा हुआ है रूह में , वो गर्द अभी आज तक। 
बात यूँ है अमन की , मिट गया जो भी चला , 
रह गया है बाकी वो,  कर्ज अभी आज तक। 

अजय अमिताभ सुमन

No comments:

Post a Comment

My Blog List

Followers

Total Pageviews