Tuesday, May 27, 2025

प्रभु नाम गुणगान रचाकर,

बोलो बेटा पापा पूछे
मचा हुआ क्या खेल?
मैथ परीक्षा में कर आया,
क्यों तू ऐसे फेल?

रिंकू बोला सिर खुजाकर,
"बात बहुत है भारी,
बिना बताये टीचर जी ने,
खेली अपनी पारी।

मैं  सोचा था आएंगे,
गिनती, जोड़, घटाना,
पर सवाल थे ऐसे जैसे,
कालापानी जाना।

टीचर से रिश्ता है मेरा,
ना ‘प्रेम’ ना ‘वैर’ ,
पर उनका हिसाब है सीधा,
बस खौफ का फेर ।"

प्रश्न पत्र में टीचर जी ने,
ऐसे प्रश्न बिठाए,
‘x’  ‘y’ में उलझा मै तो,
आँखों  आँसू आए।

एक प्रश्न था माँगा हल,
‘पाँच सेब चार में बाँटो’,
मैंने लिखा एक फेंक दो,
सबको एक हीं नापो।

‘त्रिकोणमिति’ में पूछा था,
‘कोस थीटा ’ का मान,
मैंने लिखा मैं क्या जानूँ
जो जाने  भगवान!"

गुस्से में हमने आकर भी 
जो मन वो लिख  डाला,
टीचर बोले है क्या ये ?
भई तूने क्या कर डाला!”

एक प्रश्न के चार थे उत्तर,
ईश्वर एक सहारा, 
प्रभु नाम गुणगान रचाकर, 
सब का सब टिक डाला।

गणित में वही प्रश्न थे, 
जो उनको ही भाते थे,
उत्तर में लिख डाला मैने, 
जो हमको आते थे

मैथ के पेपर में धरती का,
नक्शा डाला गोल,
मैथ के टीचर की गलती, 
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल? 

अजय अमिताभ सुमन 

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