Saturday, February 17, 2024

रंजिशें

राह में तो फूल थे,
कई खिले हुए,
वो थे रंजिशों के मारे,
जहर चुने हुए।
खामोशियों के दौर ने ,
हुनर क्या दे दिया,
कहा भी ना था मैंने ,
थे वो सुने हुए।

अजय अमिताभ सुमन

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