कभी किसी को पुरूष बना दे और नारी को चुप करा दे,
हिंदी के ग्रामर का चक्कर कैसे कैसे रोब चला दे!
महापुरुष” सुनते ही सारे , तुरन्त करें प्रणाम,
“महा-महिला” सुनते ही पूछे ये कैसा है नाम?
राष्ट्रपति पर शान बढ़े, सब करते जयकार!”,
राष्ट्र पत्नी पर सब चकराए ये कैसे व्यवहार !
राष्ट्रपति” पर शान बढ़े, पर राष्ट्र पत्नी पर ब्लस ,
माचो टाइप कहीं पे भारी कहीं फिमेल का क्रश.
भारत माता” पर जयकारे, झंडे फहराते हर साल,
“भारत पिता” कहने पर पूछे क्या करते हो फिलहाल!”
गाय तो “माँ” कहलाती है, पूजा में थाली सजती है,
साँड़ बेचारा उसको ना पिता की पदवी मिलती है
शब्दों के नीति नियम क्या, ये सोच बड़ी निराली,
गौ “माँ” पूजे पिता को भूले साँड़ की खाली प्याली ?
वन्दे मातरम्” सब गाएँ, बच्चों को याद कराए ,“वन्दे पितरम्” बोले तो मास्टर जी डाँट सुनाए !
ग्राम पंचायत के मुखिया को कहते ग्राम प्रधान,
गर महिला हो गाँव की मुखिया उलझन हो श्रीमान।
काली कोयल कूक सुनाती, सब बोले वो नारी,
क्या मर्द कोयल छुट्टी पे? या फेमिनिन बीमारी
तेलचट्टे की बीबी पूछे खुद को क्या बतलाऊँ ?
भाषा भी करने लगी सियासत, कानून भी हुए हैरान,
व्याकरण की संसद में भी जेंडर का उठा तूफ़ान!
भाषा भी कर रही सियासत, हिल गए सब कानून,
व्याकरण की संसद में भी, जेंडर का जूनून”
हिंदी का ग्रामर सुधारो, दो इक्वल सबको हक़,
गर बिन जेंडर के गीत सुनाऊँ ,ना करना ख़ट पट.
ना करना ख़ट पट. कि भैया जेंडर का जो झोल ,
कहत कवि अच्छे अच्छों को कर देता बकलोल
No comments:
Post a Comment