Monday, June 16, 2025

गाँधी का बाजार, किताबें और रद्दी अखबार

गाँधी वादी सब हुए नादान, 
पर गाँधी से चले दुकान।
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

गाँधी नाम का फले बाज़ार,
गाँधी ब्रांड से चले व्यापार। 
टोपी मिलती चश्मा मिलता,
गाँधी नाम पे झूठ भी बिकता,
पर गाँधी को दूर से सलाम।
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

कभी जो विचार थे
आज प्रचार बन चुके हैं।
जो आंदोलन थे
अब ईवेंट कहलाते हैं।
जो त्याग था
वो अब सेल्फ़-ब्रांडिंग है,
और जो खादी थी,
वो अब बुटीक में मिलती है —
दस गुना दाम पर
विदेशी टैग के साथ।

क्योकि सबको चाहिए 
देशी सामान पर विदेशी दुकान 
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

किताबें?
वो अब अलमारियों में
रंग-सज्जा का हिस्सा हैं,
किसी ने अंतिम बार
‘सत्य,अहिंसा’ कब पढ़ा
किसी को याद नहीं।
पढ़ने वाले कम हैं,
बोलने वाले ज़्यादा,
और जो तथ्य जानते हैं चुप हैं,
वो इतिहास में दर्ज नहीं होते।

ज्ञान मौन, लम्बी जुबान ,
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

वहीं रद्दी अख़बार —
हर सुबह ताज़ा झूठ लिए
दरवाज़े पर गिरते हैं।
कल जो लिखा था,
वो आज ख़ारिज,
पर बिकता वही है
जो डराता है,
भड़काता है,
या चमकदार लगता है।
किताबें सस्ती , महंगे अखबार ,
स्टार महंगे , सस्ते विचार

किताबों से भारी रद्दी की दुकान.
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

रद्दी वाले की बोरी में
सच और झूठ
एक ही किलो के भाव में
तौले जाते हैं।
और उसी बोरी में
गाँधी की तस्वीर भी आ जाती है , 
पुराने संपादकीय के साथ,
जिसे अब कोई नहीं पढ़ता,
बस तराजू पर रखता है।

सत्य झूठ का एक ही नाम,
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

गाँधी का त्योहार
हर साल 2 अक्टूबर को
थोड़ा और सजता है —
मोमबत्तियाँ जलती हैं,
शब्द बोले जाते हैं,
फिर सब लौट आते हैं
अपने-अपने स्क्रीन पर,
जहाँ गाँधी ट्रेंड नहीं करते, 

दो बोल गाँधी के 
और दो बोल प्रभु नाम, 
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

क्योंकि अब
बाज़ार में वही बिकता है
जो दिखता है।
विचार नहीं,
विज्ञापन चलते हैं।
इसीलिए गुटका खाने वाले 
सुपर स्टार, 
जनता मरने को, मिटने को तैयार
और गाँधी?
अपनी टोपी संभाले
किसी कोने में बैठे हैं —
किताबों की धूल में,
रद्दी अख़बारों की भीड़ में,
बेचैन…बेचारे
बिकने से इंकार करते हुए।

बात यही सच है श्रीमान, 
नाम से दूरी, दाम से काम, 
रघुपति राघव राजा राम।

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