दुनिया की
बातें बताऊँ क्या तुमसे ,
सत्कर्म
करना पागलपन यहाँ है ।
अपने को
सच्चा बनाऊँ मैं कैसे,
सत्पथ पर
चलना पागलपन जहाँ है।
स्वेदभरी
शोषितों की जिन्दगी को देख जरा,
एक ओर शोषकों का जीवन है हरा भरा ।
कोई काम
करता तो कोई नाम करता है,
लगता है
जीना पागलपन यहाँ है ।।
धर्म का
प्रतिनिधि बन जो दुनिया को ठगता
अपने को ऊँच
कह नीच कर्म करता है।
उसकी
बुराइयों का पर्दाफाश करना,
तेरे शब्दों
में अल्हड़पन यहाँ है ।।
मानव को अलग
अलग जातियों में बाँटो मत,
बगिया के
सुमनों को अलग अलग छाटों मत।
नहीं तो इस
चमन का दिल दुख जाएगा,
पर सच कहना
लड़कपन यहाँ है।
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