सभा में जाई
बइठे, घर से दुलहिनिया ।
मने मने
हुलसेले सबके बहिनिया ॥
शोभेला
चुड़ी आ हाथ में कंगनवा ,
कभी कभी
शोभला हाथ में कलमवा ।
लिखे आपन
देशवा के भाग इ बहिनिया । सभा में
घर के इ
लक्ष्मी बहरवो के रानी,
दूर करे
दुनिया के इहे परेशानी ।
खुशी से आये
अंगना से, हमार बहिनिया । सभा में
आशावादी"
बेटिये ला गीतवा बनावे,
जागल बहिनिया इ सबके बतावे।
मरद से आगे
आगे, चली बहिनिया । सभा में
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