सांच बात
कहे वाला सांच बात कहत रही,
कतनो धमकाई' बाकिर सांच खातिर लड़त रही ।
"आशावादी" कहे कि उ सचमुच महान
बा,
दोसर के
भलाई खातिर तिल तिल जरत रही।
सांच कहला
पर दुनिया से नाता टूटे,
सांच बतिया
हम सबके बतइबे करब
रउआ अच्छा
लागे चाहे बुरा लागे,
हम सांचे ही
रहिया देखइबे करब ।
रउआ मंदिर
में जाके पूजा करीं चाहे,
मस्जिद में
जाके इबादत करीं।
आदमी से अगर
रउआ नफरत करीं ,
हम त रउआ के
बुरा बतइबे करब ॥
बड़ा हई
बाकिर सबके तड़पावल करीं,
धोखा दे दे
के काहे सतावल करीं।
चाहे गोली
चले, जान जाई मगर ।
सांच बतिया
त सबके सुनइवे करब ॥
श्रीनाथ “आशावादी' कहे भाईजी ,
झूठ का, सांच काह, बुझअ भाई जी।
झूठ बोल के
आदमी लूट रहल,
झूठ से आदमी के बचइबे करब ।।
No comments:
Post a Comment