Sunday, December 8, 2024

फूल से दुलहिनियाँ

 

नारी जब सिंगार करे त फूल भी लजा जाला,

नारी जब कठोर बने त पत्थर भी शरमा जाला ।

आशावादी कहे कि नारिये से युद्ध में,

बड़े-बड़ वीरन के पाँव डगमगा जाला ।

 

जिनगी सँवारेला अधिकार लेके रहिहें ।

फूल से दुलहिनियाँ अंगार बनि जईहें ।।

मोम से मुलायम हई, पत्थर से कठोर हो,

केहू खातिर अमृत हुई, केह खातिर जहर हो

बिगड़ल दुनिया ला इ माहूर बनि जइहें । फूल

 

झांसी के रानी के इ जान ताटे दुनिया,

शान तुड़ली दुश्मन के मान ताटे दुनिया

झाँसी,के रानी के अवतार कनि जड़्हें । फूल से

 

जगिहें बहिनिया त बड़ा उपकर होई।

सचसुच घरवा आ देश  कें उद्धार होई

आशावादी के ई रहिया पे चलिहें,

फूल से दुलहिनियाँ अंगार बनि जइहें।

 

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