नारी जब
सिंगार करे त फूल भी लजा जाला,
नारी जब
कठोर बने त पत्थर भी शरमा जाला ।
आशावादी कहे
कि नारिये से युद्ध में,
बड़े-बड़
वीरन के पाँव डगमगा जाला ।
जिनगी
सँवारेला अधिकार लेके रहिहें ।
फूल से
दुलहिनियाँ अंगार बनि जईहें ।।
मोम से
मुलायम हई, पत्थर से कठोर हो,
केहू खातिर
अमृत हुई, केह खातिर जहर हो,
बिगड़ल
दुनिया ला इ माहूर बनि जइहें । फूल
झांसी के
रानी के इ जान ताटे दुनिया,
शान तुड़ली
दुश्मन के मान ताटे दुनिया
झाँसी,के रानी के अवतार कनि जड़्हें । फूल
से
जगिहें
बहिनिया त बड़ा उपकर होई।
सचसुच घरवा
आ देश कें उद्धार होई
आशावादी के
ई रहिया पे चलिहें,
फूल से
दुलहिनियाँ अंगार बनि जइहें।
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