Sunday, December 8, 2024

मनवा तरसे ला ए राम

 

शराब के नशवे में झुमेला इ दुनिया,

सब कुछ बरबाद भईल बुझे ना इ दुनिया ।

"आशावादी" कहे कि अबहू से सोच अ तू,

शराबी के घर-घर में रोए दुरलहिनिया ॥

 

गीत-

 

मिलले शराबी सइयाँ, इज्जत के नाश क इले,

ए सखिया हे, सारा घर भइले बरबाद नु ए राम।

 

शवे में चूर रहस, गरिये से बात करस,

ए सखिया हे, मीठी बोली खातिर मनवा तरसे ला ए राम।

 

गहना गुड़ियावा सब, खेत जायदाद बेचे,

ए सखिया हे, गोदी के बालाकवा कइसे जी ही नु ए राम।

 

सावन भदउआ अइसे, बरसे नएनवा मोर,

ए सखिया हे, अँखिया के लोरवा कभी ना सूखेला ए राम।

 

कुहुकि कुहुकि चिरई, पिंजड़ा में जीयतारी,

ए सखिया है, पियवा के बोलिया गोलिया मारेला ए राम।

 

श्री नाथ आशावादी, रोई-रोई गीत लिखे,

ए सखिया हे, कब होई बहुअन के उद्धार नु ए राम।

 

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