शराब के
नशवे में झुमेला इ दुनिया,
सब कुछ
बरबाद भईल बुझे ना इ दुनिया ।
"आशावादी" कहे कि अबहू से सोच अ तू,
शराबी के घर-घर में रोए दुरलहिनिया ॥
गीत-
मिलले शराबी
सइयाँ, इज्जत के
नाश क इले,
ए सखिया हे, सारा घर भइले बरबाद नु ए राम।
নशवे में चूर रहस, गरिये से
बात करस,
ए सखिया हे, मीठी बोली खातिर मनवा तरसे ला ए
राम।
गहना
गुड़ियावा सब, खेत जायदाद
बेचे,
ए सखिया हे, गोदी के बालाकवा कइसे जी ही नु ए
राम।
सावन भदउआ
अइसे, बरसे नएनवा
मोर,
ए सखिया हे, अँखिया के लोरवा कभी ना सूखेला ए
राम।
कुहुकि
कुहुकि चिरई, पिंजड़ा में
जीयतारी,
ए सखिया है, पियवा के बोलिया गोलिया मारेला ए
राम।
श्री नाथ
आशावादी, रोई-रोई गीत लिखे,
ए सखिया हे, कब होई बहुअन के उद्धार नु ए राम।
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