माला के
बियाह सखि बड़ा नीक लागे हे
माला के
वियाह सखि बड़ा नीक लागे हे,
दुरलहिन
दुलाहबा के माला पहिरावे हे ।
धीरे-धीरे
मंचवा पर दुर्लहिन आवे हे,
देखि देखि
दुलहा के मन मुसकाए है ।
आजा बाजा
बजे नाहीं हाथी घोड़ा सजे हे,
लोग सभे रगे
रंगे फूल 'बरसावे हे ।
पण्डित
पुरोहित नाहीं ढ़ोंगवा रचावे है,
दानवा
दहेजवा ना दिलवा दुखावे हे ।
प्रम के
बियाह सखि बड़ा मन भावे है,
'आशावादी, कहे देखि मन हरषाए हे ।
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