भारत मैया
ये आँसू बहाए,
क्या मैं
सुनाऊँ, क्या मैं बताऊँ ।
टूट गये इन
शहीदों के सपने,
किसको बताऊँ, कैसे सुनाऊँ ।
कितनों ने
अपने प्राण गँवाये,
फांसी के
फंदे गले से लगाये,
सोचा, खिलेगा चमन ये हमारा,
सूख गया हाय
क्या गीत गाऊँ ।
भारत कितनी सीताओं के नयन बरसते,
लाखों ये
रावण पग पग पर मिलते,
राम न कोई
दीख रहा है,
अस्मत
सीताओं की कैसे बचाऊँ । भारत....
झूठ यहाँ पर
बिहंस रहा है,
सत्य यहाँ
पर सिसक रहा है,
रक्षक ही
भक्षक बन जाते,
किससे किससे
दर्द सुनाऊँ । भारत"..."
शहीदों की
पूजा कैसे करूँ मैं,
इनकी गाथाएँ
कैसे कहूँ मैं,
श्रीनाथ
"आशावादी" आँसू बहाये
कैसे शहीदों
को फूल चढ़ाऊँ । भारत"
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