मन मन्दिर
में तेरी पूजा प्रिय मन ही मन मैं करती हूँ।
इस दिल में
है सूरत तेरी मैं मन में दर्शन करती हूँ।
तू साथ रहो
या दूर रहो, मन सदा सुखी रहता मेरा
जिस ओर
निहारु प्रिय तुमको, उस ओर मैं दर्शन करती हूँ। मन....
सब सुख मेरा
तू ले लेना, दुख अपना मुझको दे देना,
तू सुखी रहो
तो हे साथी, दुख में सुख अनुभव करती हूँ ।
मन...
ये भाव सुमन
खिलते रहते, पुलकित हृदय के कानन में
इन सुमनों
को तेरी मूरत पै रोज चढ़ाया करती हूँ । मन......
No comments:
Post a Comment