Sunday, December 8, 2024

हिन्दू मुस्लिम को अलग न बताया करो

 

हिन्दू मुस्लिम को अलग न बताया करो।

भारत माँ का हृदय न रुलाया करो ।।

एक ही तन की दो आँखे हैं जैसे प्रिय,

एक ही बगिया में दो फूल सोहा करे ।

कोई सूखने पर फूल, बाग सूना पड़े,

आँख फूटने पर एक भी मन रोया करे ।

आँखों को अलग अलग न बताया करो। भारत"

राणा ने घास की रोटी खाई यहाँ,

हैदर, टीपू ने प्राण गँवाये जहाँ ।

यहीं तुलसी की कविता सुनाई पड़ी,

कवि रहिमन ने दोहे बनाये यहाँ ।

मजहब का न झगड़ा लगाया करो। भारत..."

राम कहता कोई, अल्हा बोलता कोई,

मंदिर-मस्जिद दोनों ही श्रद्धा का सदन ।

कोई पढ़ता नमाज, पूजा करता कोई,

दोनों अपित हैं करते श्रद्धा के सुमन

मंदिर-मस्जिद हैं अलग न सिखाया करो। भारत"

 

No comments:

Post a Comment

My Blog List

Followers

Total Pageviews