ये कविता एक बुजुर्ग , बुद्धिमान मंत्री और उसके एक अविवाहित राजकुमार के बीच वार्तालाप पर आधारित है. राजकुमार हताशा की स्थिती में महल के प्राचीर पर बैठा है . मंत्री जब राजकुमार से हताशा का कारण पूछते हैं , तब राजकुमार उनको कारण बताता है. फिर उत्तर देते हुए मंत्री राजकुमार की हताशा और इस जग के मिथ्यापन के बीच समानता को कैसे उजागर करते हैं, आइये देखते हैं इस कविता में .
युवराज हे क्या कारण, क्यों खोये निज
विश्वास?
मुखमंडल
पे श्यामल बादल ,क्यूँ
तुम हुए निराश?
चुप
चाप खोये से रहते ,ये
कैसा कौतुक है?
इस
राष्ट्र के भावी शासक,पे
आया क्या दुःख है?
आप मंत्री वर बुद्धि ज्ञानी ,मैं ज्ञान आयु में
आधा ,
ना
निराश हूँ लेकिन दिल में,सिंचित
है छोटी एक बाधा.
पर
आपसे कह दूँ ऐसे ,कैसे
थोड़ा सा घबड़ाऊँ
पितातुल्य
हैं श्रेयकर मेरे,इसीलिए
थोड़ा सकुचाऊँ .
अहो कुँवर मुझसे कहने में, आन पड़ी ये कैसी बाधा?
जो
भी विपदा तेरी राजन, हर
लूँगा है मेरा वादा .
तब
जाकर थोड़ा सकुचा के, कहता
है युव राज,
मेरे
दिल पे एक तरुणी का, चलने
लगा है राज .
वो तरुणी मेरे मन पर ,हर दम यूँ छाई रहती
है ,
पर
उसको ना पाऊँ मैं,किंचित
परछाई लगती है.
हे
मंत्री वर उस तरुणी का, कैसे
भी पहचान करें,
उसी
प्रेम का राही मैं हूँ, इसका
एक निदान करें .
नाम देश ना ज्ञात कुँवर को , पर तदवीर बताया,
आठ
साल की कन्या का,उनको
तस्वीर दिखाया.
उस
तरुणी के मृदु चित्र , का
मंत्री ने संज्ञान लिया ,
विस्मित
होकर बोले फिर, ये
कैसा अभियान दिया .
अहो कुँवर तेरा भी कैसा,अद्भुत है ये काम
ये
तस्वीर तुम्हारी हीं,क्या
वांछित है परिणाम?
तेरी
माता को पुत्र था, पुत्री
की भी चाहत थी ,
एक
कुँवर से तुष्ट नहीं न, मात्र
पुत्र से राहत थी .
चाहत जो थी पुत्री की , माता ने यूँ साकार
किया,
नथुनी
लहंगे सजा सजा तुझे ,पुत्री
का आकार दिया.
छिपा
कहीं रखा था जिसको, उस
पुत्री का चित्र यही है,
तुम
प्रेम में पड़ गये खुद के , उलझन
ये विचित्र यही है .
उस कन्या को कहो कहाँ, कैसे तुझको ले आऊं
मैं ?
अद्भुत
माया ईश्वर की , तुझको
कैसे समझाऊँ मैं ?
तुम्हीं
कहो ये चित्र सही पर , ये
चित्र तो सही नहीं ,
मन
का प्रेम तो सच्चा तेरा , पर
प्रेम वो कहीं नहीं .
कुँवर प्रेम ये तेरा वैसा , जैसा मैं जग से करता
हूँ ,
खुद
हीं से मैं निर्मित करता खुद हीं में विस्मित रहता हूँ .
मनोभाव
तुम्हारा हीं ठगता ,इससे
हीं व्याप्त रहा जग तो ,
हाँ
ये अपना पर सपना है,पर
सपना प्राप्त हुआ किसको?
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