घरवा सजइतीं, खशिया बढ़इतीं, पढ़ा द पियवा ।
देश दुनिया
बनइतीं, पढ़ा द
पियवा।
जिनगी
निभावेला किरिया तू खइलअ,
साथे साथे
एही अटरिया में रहेलअ ।
सगरो
ज्ञानवा के दीयवा जलइ गी, बता द पियवा
।
सुतल देश के
जगइतीं, पढ़ा द
पियवा । देश दूनिया
घरवा में
बंद रहब, कुछ नाहीं
जानब ,
हे या
दुनिया के नाहीं पहचानब ।
साथे साथे
चलब, तोहार नामवा
बढ़इतीं, सीखा द
पियवा।
घर के शानवा
बढ़इतीं पढ़ा द पियवा । देश दुनिया
दिलवा
दूखावअ जनि हमके सतावअ ,
मना जनि कर
पिया हमके पढ़ावअ ।
आशावादी
कहतारे, सबके
पढ़ाइती, सीखा द
पियवा ।
हम त खशिया
मनइतीं, पढ़ा द
पियबा । देश दुनिया
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