घू'घट बीचे जरेली. बहिनियाँ हमार हो ।
कहिया ले
सहबू अहिन अइसन अत्याचार हो ।।
टी० वी०
मोटर साईकिल खातिर लोग सब मारेला,
ई फूल लेखाँ
देहिया के तेल से जरावेला
।
सारा सुख
छीनेला दहेज के बाजार हो । घू घट
बेटिये के
उजड़ला घरबा दुआरवा,
दुलहन पर
टूटेला विपत्ति के पहाड़वा।।
गरभे में
वेटिये के मारे संसार हो । घूँ'घट
सोच अ बहिन, सोच अ फुआ सोच अ बुढ़ी माई ,
तहरे से
भागी इं दहेज वा कसाई।
झांसी के अब
रानी बनके ले ल अवतार हो । घू' धट'
श्री नाथ "आशावादी" दरद सुनावेले ,
गॅउबा
नगरिया में सब के बतावेले ।
ज गिहें
बहिनियाँ त होइहें उद्धार हो । घूँधट
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