Friday, November 8, 2024

घू'घट बीचे जरेली

 

घू'घट बीचे जरेली. बहिनियाँ हमार हो ।

कहिया ले सहबू अहिन अइसन अत्याचार हो ।।

 

टी० वी० मोटर साईकिल खातिर लोग सब मारेला,

ई फूल लेखाँ देहिया के तेल से जरावेला । 

सारा सुख छीनेला दहेज के बाजार हो । घू घट

 

बेटिये के उजड़ला घरबा दुआरवा,

दुलहन पर टूटेला विपत्ति के पहाड़वा।।

गरभे में वेटिये के मारे संसार हो । घूँ'घट

 

सोच अ बहिन, सोच अ फुआ सोच अ बुढ़ी माई ,

तहरे से भागी इं दहेज वा कसाई। 

झांसी के अब रानी बनके ले ल अवतार हो । घू' धट'

 

श्री नाथ "आशावादी" दरद सुनावेले ,

गॅउबा नगरिया में सब के बतावेले ।

ज गिहें बहिनियाँ त होइहें उद्धार हो । घूँधट

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