याद रहे जब धनानंद ने शिक्षक का अपमान किया,
धन अर्थ का मात्र विज्ञ न शिक्षा का सम्मान किया।
तब कैसे एक शिक्षक की चोटिल चोटी लहराई थी,
शिक्षक के आगे शासक की शक्ति भी भहराई थी।
किसी राष्ट्र के आनन में चाणक्य जभी पूजित होंगे।
धनानंद मिट जायेंगे चंद्रगुप्त तभी शोभित होगें।
जब राष्ट्र की थाती पर, शिक्षक शिक्षण का जय होता,
वो राष्ट्र मान ना खोता है, ना महिमा में कोई क्षय होता।
इसीलिए हे शासक गण याचन ऐसा ही शासन दो,
शिक्षक की गरिमा बची रहे, स्वतंत्र रहे अनुशासन दो।
फिर ऐसे ही अनुशासन से, ये देश मेरा जन्नत होगा,
चाणक्य जभी पूजित होंगे, ये देश तभी उन्नत होगा।
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