हिंदू हो या मुस्लिम भाई,
सिख,यहूदी या हो ईसाई।
बौद्ध जैन का कोई सपना,
हृदय लगाए जैसे गहना।
कौन हो तुम?
बाल शिशु या तरुण जवानी,
युवा प्रौढ़ की कोई कहानी ।
या नर का नर हुआ विकर्षण,
या नारी से काम आकर्षण।
यौन हो तुम?
एक देश का एक निवासी,
बाकी सारे लगे प्रवासी।
एक राष्ट्र को प्रेम समर्पित,
निजजीवन को करते अर्पित।
जौन हो तुम?
एक जाति के एक धर्म के,
एक भाव हीं एक मर्म के।
निजजाति का ज्ञान लिए हो,
गौरव का सम्मान जिए हो।
तौन हो तुम?
युवा युवती या कोई मानव,
साधु संत या कोई दानव।
जग का रसिया या जगरागी,
या जग से तुम चले वैरागी।
बौन हो तुम?
छोटा सा आधार लिए हो,
छोटा सा विचार लिए हो।
छोटा सा आकार लिए हो,
छोटा सा संसार लिए हो।
गौण हो तुम?
बसता है जिसमें संसार,
वो अपरिमित निराकार।
इतने में कैसे रख लोगे?
ईश्वर को कैसे चख लोगे?
मौन हो तुम?
अजय अमिताभ सुमन
No comments:
Post a Comment