Friday, November 8, 2024

कैसा जग का यह व्यवहार

 

कैसा जग का यह व्यवहार ।

हर पग पर अपमानित होने को ये हैं लाचार ।

विस्तर साथी का छूने पर देखो खाता मार ।

कितने प्रेम, कितनी मस्तो से मिलते ये सुकुमार ।

पावन प्रीति को तोड़ रहा इन धनियों का संसार ।

बड़े-बड़े

धनसेठ जहां कुत्तों से करते प्यार ।

पर मानव को ये पापी देखा देते फटकार ।

अपने हित से इनका मतलब नहीं किसी से प्यार ।

निर्मल बनते ये शोषक पर सचमुच है हत्यार ।

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