Friday, November 8, 2024

गुरू गोविंद यदि दीख पड़ें

 

गुरू गोविंद यदि दीख पड़ें 

तो किसको शीश नवाऊँ मैं ।

कहा कबीर ने सबसे पहले 

गुरू को शीश झुकाऊँ मैं ।

मन के नभ में छाये रहता है 

अज्ञान अंधेरा रे,

शिक्षक ही रवि बनकर के 

फैला देता उजियारा रे,

भक्ति उमड़ती मेरे दिल में

उनके चरण दबाऊँ मैं । कहा...........

 

हम सब गुरु की देन जगत में

हो छोटा या बड़ा भी रे,

सब की आँखे खोल सीखाता

अपना हो या पराया रे,

'आशावादी' कहते भाई

गुरु से नेह लगाऊँ मैं । कहा...........

 

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