गरीब के
कहानी लिखे में आँख से लोर बह जाला,
दूख के
जिनगी देख के सांचो नु करेज फट जाला ।
आशावादी कहे
भगवान बारे कि नईखन,
गरीब के देख
के इहे प्रश्न बन जाला ।।
खेतवा में
रोएलौ जनानवा ए मएनवा, कहाँ गईले
ना ।
हमार आँखि
के रतनवा कहाँ गईले ना ॥
पूछला पर
मालूम भईल, घर के गरीब
हुई,
मरद हरवाह
हटे बड़ा बदनसीब हुई ।
बारी जनमवले
उ तीन गो लईकवा,
तरसेलेसन
अन्नअ खातिर उ बालाकावा ॥
बाटे टूटल
फूस चे मकानवा ए मएनवा, दुख वे में
ना
बीते जिनगी दिनवा दुखवे में ना ॥ हमार"
घरवा में
पड़ल रहे मरद बेरमिया,
दउवा ना
उधार करे डाक्टर हरमिया ।
मालिक से
कर्जा लेक दवा-दारु कईली,
मरल संवागवा
के प्राणवा बचवली।
पथअ खातिर
रहे नाहीं अन्नवा ए मएनवा, सावन अईसन
ना ।
बरसे झर-झर नएनवा, सावन अईसन ना ॥ हमार'
अनअ बिना
घरवा में बनेना भोजनवा,
खाये खातिर
बिलखत रलेसन ललनवा ।
ओकनी के आपन
कलेजा से सटवली,
सुसुकत
बालकवन के रोवत समझवली ।
होत भोरे
करब कटनिया ए मएनवा, करेजवा सुनु
ना
तोह के देहब
हम भोजनवा, करेजवा सुनु
ना ।। हमार"
खईला बिना
छतिया में दूधवो ना आवे,
गोदी के
बालकवा उ सूखले चबावे ।
फाटि जाइत
छतिया त खूनवे पियवतीं,
बिलखत मएनवा के क्षु धवा मिटइतीं।।
इहे करे
धनिया के मनवा ए मएनवा, पूरा होखे
ना ।
कभी मनआ के
सपनवा, पूरा होखे
ना ।। हमार
बगिया में
कोईल जब कुहू कुहु करेला,
चिड़ई
चुड़ेंगवन के चह-चह होखेला ।
बीस दिन के
बालका के गोदिया उठवली,
काटे खातिर
गेहआँ के खेतवा में गईली ।
पेट खातिर
सुख बा सपनवा ए मएनवा, देहिआ में
ना ।
नईखे एक बूद
खूनवा, देहिआ में
ना ॥ हमार
बूदा-बूदी होखे कभी बहेला पवनवा,
धनिया के
दूख देखि रोवे आसमानवा ।
खेतवा के एक
ओर लईको सुतवली,
फाटल गमछिया
के देह पर ओढ़वली ।
काटे लगली
गेहुआँ के थानवा ए मएनवा, कामवे पर ना
।
रहे धनिया
के धेयानवा कामवे पर ना ॥ हमार"
एहि बीचे
जोर से बालकवा चिहुँकलस,
सोचली कि
बाबू नींदवे में सपनईलस ।
काटे लगली
गेहुँआ त गोदिया उठावे,
गईली लईकवा
के दूधवा पियावे ।
करे लगली
जोर से रोदनवा ए मएनवा, सियरा लेलस
ना ।
हमारे बाबू
के परानवा, सियरा लेलस
ना। हमार"
रोअल सुनि
गँउआ के लोग सब जुटल,
श्रीनाथ
आगावादी छाती सभे पीटल ।
देणवा में
बड़कन लोगवा के राज बा,
मिहनत करे व. ला इहाँ मुँहताज वा ।
इहे ह आजाद
हिन्दुस्तानवा ए मएनवा, गरीबवन के
ना ।
नईले केह
भगवानवा गरीबवन के ना । हमार"
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