अपने हृदय
की पीड़ कहो कैसे बताऊँ ऐ प्रिये ।
प्यासे नयन
की प्यास मैं कैसे मिटाऊँ ऐ प्रिये ।।
जी चाहता
तुम्हें सदा मैं साथ ही रखा करु,
स्नेह का
मधु पान कर प्रसन्न हो चखा करूँ,
अतृप्त मन
हो शान्त, निज को क्या सिखाऊँ ऐ प्रिये।
मछली तड़पती, जाल में, जल भाग जाता छोड़कर,
पर मीन तो
जीती नहीं, पानी से नाता तोड़कर,
इच्छा है
तुमसे मीन सा ही दिल लगाऊँ ऐ प्रिये ।
इस व्यग्र
मन की प्रार्थना है, भूल मत जाना मुझे,
यह अर्ज
मेरा बार-बार, स्मृत रखना तू मुझको,
हृदय में है
आसन बड़ा, आओ बैठाऊँ ऐ प्रिये ।
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