Wednesday, November 6, 2024

साथ रहने पर हर क्षण शृगार बन जाता

 

साथ रहने पर हर क्षण शृगार बन जाता।

वही बिछुड़न में जी का कटार बन जाता।।

साथ रहते तो दिन बीत जाते हैं क्षण में

न रहने पर वही क्षण पहाड़ बन जाता।

कभी वर्षा की रिमझिम थी दिल को सुहाती।

अब साधन वही क्यों तलवार बन जाता।

चाँदनी रात सबको शीतलता है देती

पर चाँद वही अब तो अंगार बन जाता।

तेरी बातें भी मधुर कभी हरदम न भाती

अब कटु वचन दिल की बहार बन जाता।

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