ए भाई, देशवा इ बिगड़ल जाता ।
जेहि रक्षक
बा, भक्षक बनले, देशवा के लू टि लटि खाले,
झठ बोलके
धनवा बटोरस, उहे ईहा बड़का कहाता ।
घरे घरे
लोगवा पीएला शराबवा,नशवे में बुद्धिया हेराइल,
पीके शराब
खराब हो गइले, इज्जत से तोड़ देले नाता।
गंदा फिलिम
के पीछे पागल, घरे घरे मरद मेहरिया,
जइ से पीव
पर माछी झुके, टी०वीए तर भीड़ जुट जाता ।
अच्छा बतिया
केहु ना बुझे, चोरवा सीना ताने,
श्री नाथ
"आशावादी" के, बतिया इ तनि ना सुहाता ।
ए भाई, देशवा इ बिगड़ल जाता ।
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