जय हे भारत
भुमि महान् ।
मुकुट बना
हिमगिरि मस्तक का करता तेरा त्राण ।
गंगा, यमुना सरिताए सब गातीं गौरव गान ।।
शस्य
श्यामला धरती पहने हरा रंग परिधान ।
सागर धोता
चरण तुम्हारा विध्य बना सम्मान ॥
मंदिर
मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारे एक समान ।
कोटि कोटि
भारतवासी के ये दिल के अरमान ।।
नत मस्तक
तेरे चरणों पर हम तेरी संतान ।
तम मन अपित
करते हम सब बढ़ तुम्हारी शान ।।
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