कौन सृष्टि को देता वाणी?सर्व व्याप्त पर रहता मौन?
कौन सीपी में मोती धरता, कौन आखों में ज्योति भरता ,
चर्म कवच कच्छप को देता,कभी सर्प का जो हर लेता।
कौन सुगंधि है फूलों की?और तीक्ष्ण चुभन शूलों की?
कौन आम के मंजर में है?मरू भूमि में, बंजर में है?
जो द्रष्टा हर कण कण क्षण का , पर दृष्टि को रहता गौण,
और सृष्टि को देता वाणी , सर्व व्याप्त पर रहता मौन?
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