कुहकेला
धीया के करेजवा , रात अँखिया से लोरवा झड़े ए राम ।
होत भिनुसार
विदइया में, सखिया सहेलिया रोए ए राम ।
डोलिया
दुअरिया लगइले कहार पापी ठाढ़े भइले ए राम।
सुसुकेली
माई के गोदिया में, तनि ना अचारबा छोड़ ए राम ।
छ रल जाला
घर नईहरवा, सहेलिया के संगवा छहे ए राम ।
बाद पड़ भाई
के दुलारवा आ बाबूजी के नेहिया साले ए राम ।
सु पुकत
डोलिया में बइठे, कहारबा उठाई लेलस ए राम ।
"आशावादी" लिखत में लोर झड़, हाथ के कलमिया रुके ए राम ।
(आकाशवाणी पटना से रमेश्वर गोप
द्वारा प्रसारित एवम् हिन्दुस्तान समाचार पत्र की समीक्षा में प्रशंसित)
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