Friday, December 8, 2017

चलोगे क्या फरीदाबाद ?



रिक्शेवाले से लाला पूछा 
चलोगे क्या फरीदाबाद ?

उसने बोला झटाक से उठकर
बिल्कुल तैयार हूँ भाई साब.

मैं तैयार हूँ भाई साब 
की सामान क्या है तेरे साथ ?

तोंद उठाकर लाला बोला
आया तो मैं खाली हाथ .

आया तो मैं खाली हाथ 
की साथ मेरे घरवाली है .

और देख ले पीछे भैया 
वो हथिनी मेरी साली है .

वो हथिनी मेरी साली है 
कि क्या लोगे किराया ?

देख के तीनों लाला हाथी
रिक्शा भी चकराया.

रिक्शावाला बोला पहले 
आजमा लूँ अपनी ताकत .

दुबला पतला चिरकूट मैं तुम
तीनों के तीनों आफत .

तीनों के तीनों आफत पहले
बैठो तो इस रिक्शे पर 

जोर लगा के देखूं मैं फिर 
चल पाता है रिक्शा घर ?

चल पाता है रिक्शा घर
कि जब उसने जोर लगाया .

टूनटूनी कमर वजनी रिक्शा 
चर चर चर चर चर्राया .

रिक्शा चर मर चर्राया
कि रोड ओमपुरी गाल. 

डगमग डगमग रिक्शा डोले
हुआ बहुत ही बुरा हाल. 

हुआ बहुत ही बुरा हाल 
कि लाला ने जोश जगाया .

ठम ठोक ठेल के रिक्शे ने 
तो परबत भी झुठलाया .

परबत भी को झुठलाया
कि क्या लोगे पैसा बोलो ?

गस खाके बोला फिर रिक्शा 
दे दो दस रूपये किलो .

दो दस रूपये किलो लाला 
बोला समझा क्या सब्जी .

मैं लाला इंसान हूँ भाई 
साली और मेरी बीबी .

साली और मेरी बीबी
फिर बोला वो रिक्शेवाला .

ये तोंद नहीं मशीन है भैया 
सबकुछ पचनेवाला .

सबकुछ पचनेवाला भाई 
आलू बैगन टमाटर

कहाँ लिए डकार अभीतक 
कटहल मुर्गे खाकर .

कटहल मुर्गे खाकर कि 
सरकारी अजब किराया है .

शेखचिल्ली के रूपये दस 
और दस हाथी का भी भाड़ा है ? 

अँधेरी है नगरी भैया 
और चौपट करार है.

एक तराजू हाथी,चीलर
तौले ये सरकार है .

एक आंख से देखे तौले 
सबको अजब बीमार है . 

इसी पोलिसी का अ़ब तक 
रिक्शेवाला शिकार है .




अजय अमिताभ सुमन 

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