रविवार का दिन था। सुबह का वक्त था।शर्माजी चाय पीकर आराम फरमा रहे थे। दरवाजे की घंटी बजी। शर्मा जी ने गोलू से कहा जरा देखना कौन है?
गोलू बोला अभी आया दादाजी।गोलू के अनपेक्षित आज्ञाकारिता से दादाजी विस्मय पूर्वक आनंदित हो उठे।
गोलू दौड़ते हुए दरवाजे की तरफ भागा। बोला आज कालेज में स्पेशल क्लास है।जरा देर से आऊंगा।
शर्माजी का दिमाग ठनका।रविवार के दिन स्पेशल क्लास?खिड़की से देखा। गोलू के बाइक पे उसके कॉलेज की कोई दोस्त बैठी हुई थी।
शर्माजी मुस्कुराने लगे।बचपन पे गोलू ऐसे हीं झूठे बहाने बनाता था तितलियों को पकड़ने के लिए।
तितलियाँ बदल गयी थी पर तितलियाँ नहीँ बदलीं।
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