सच कहिए तो पलायन ने ही बिहार को जोड़कर रखा है। वही बेटा जो घर में पिता की बात नहीं सुनता, वही दुबई से वीडियो कॉल पर कहता है — “पापा, दाल चावल खाया की नहीं? ठंडा पानी मत पीजिएगा!” और माँ भी गर्व से पड़ोसन को बताती है — “मेरा बेटा कॉल सेंटर में काम करता है, लेकिन दिल पूरा देसी है…
तो भाइयों-बहनों, आप बोलिए पलायन समस्या है, हम कहेंगे वरदान है। क्योंकि अगर बिहारी अपनी जमीन से बाहर न जाएँ —
तो देश बन कौनाएगा?
कंपनियाँ चलाव कौनाएगा?
IAS टॉपरों की लिस्ट भरेगा कौन?
और अंग्रेज़ों को पर्पसली डायनामिकली गलत एक्सेंट में इंग्लिश सिखाएगा कौन?
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