Tuesday, December 17, 2024

उपजे संदेह विश्वास करो

 

लेकर प्रभु कभी शिशु ज्ञान,
सूरज लीले किया अन्तर्ध्यान।
कभी पर्वत को हिलाया था,
निज उंगली से उठाया था।

असुरों के प्राण को हरने को,
मानव दुख दर्द को तरने को।
कभी ईश्वर धरा पे आये थे,
संताप व्यथा हर लाये थे।

जब पाप बढेंगे धरती पर,
तब होगा अवतरित ईश्वर।
सारी बातें अनुमान गढ़ित,
है कहानियाँ मानव रचित।

निज बुद्धि में प्रकाश भरो।
कोरी कल्पित एहसास करो।
यूँ ही उम्मीद ना आस धरो,
उपजे संदेह विश्वास करो

 

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