सच कहता हूँ बात बराबर, सुन ले मेरे भाई,
तुझ से लाख टके है बेहतर तेरी बकरी माई।तू मेरा दिमाग चबाये, और बकरी ये पत्ता,
तू बातों से मुझे पकाए बात बुरी पर सच्चा।
घर की बकरी से घर का भोजन चलता है सारा,
पर बकरी का दाना पानी घास पात हीं चारा।
डेंगू वेन्गु मच्चड़ वच्चड़ सबसे हमें बचाए,
दूध पिला के बूढ़े को भी झटपट रोड भगाए
इस बकरी को दुह दुह के गाँधी बन गए पठ्ठा ,
उम्र पचासा पार गए फिर भी तरुणी से ठठ्ठा।
इतनी छोटी सी बकरी पर ऐसी इसकी जात ,
पीकर गाँधी दूध इसी के खट्टे कर दिए दांत।
जय हो बकरी माई, तेरी महिमा अपरंपार,
सच में जीवन जीने का बस तू हीं है आधार।
इसीलिए कहता हूँ सुन लो भैया और भौजाई,
बार बार दुहराते जाओ जय हो बकरी माई।
No comments:
Post a Comment