Wednesday, November 6, 2024

कोरोना के हाथों हारे ईश्वर से क्या कहे बेचारे?

राशन भाषण आश्वासन मन को तो अच्छा लगता है,
छले गए कई बार फिर छलते वादा कच्चा लगता है।
तन टूटा है मन रूठा है पक्ष विपक्ष सब लड़ते है,
जो सत्ता में लाज बचाते प्रतिपक्ष जग हंसते हैं।

प्रतिपक्ष का काम नहीं केवल सत्ता पर चोट करें,
जनता भूखी मरती है कोई कुछ भी तो ओट करें। 
या गिद्ध बनकर बैठे रहना हीं है इनका काम यही,
या उल्लू दृष्टि को है संशय ना हो जाए निदान कहीं?

गिद्धों का मजदूर दिवस है कौए सब मुस्काते हैं,
कितने मरे है बाकी कितने गिनती करते जाते हैं।
लाशों के गिनने से केवल भला किसी का क्या होगा,
गिद्ध काक सम लोटेंगे उल्लू सम कोई खिला होगा।

जनता तो मृत सम जीती है बन्द करो दोषारोपण,
कुछ तो हो उपाय भला कुछ तो कम होअवशोषण।
घर से बेघर है पहले हीं काल ग्रास के ये प्यारे। 
कोरोना के हाथों हारे ईश्वर से क्या कहे बेचारे?

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