उस सत में ना चिंता पीड़ा,
ये जग उसकी है बस क्रीड़ा,
नर का पर ये जीवन कैसा,
व्यर्थ विफलता दुख संपीड़ा,
प्रभु राह की अंतिम बाधा ,
तृष्णा काम मिटाएं कैसे?
ईश्वर हीं बसते सब नर में,
ये पहचान कराएं कैसे?
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खुद को खोने से डरता है,
जीवन सोने से भरता है,
तिनका तिनका महल सजाकर,
जीवन में उठता गिरता है।
प्रभु प्रेम में खोकर मिलता,
उसको जग जतलाएं कैसे?
ईश्वर हीं बसते सब नर में
ये पहचान कराएं कैसे?
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