Sunday, September 22, 2024

नहीं किसी का भक्त हूँ भाई

 नहीं किसी का भक्त हूँ भाई


पंथों में ना सख़्त हूँ भाई,
अंधा कोई भक्त हूँ भाई।

मैं करता हूँ खुद की पूजा,
मेरा ईश्वर मैं ना दुजा।
जन्म से खुद को हिन्दू पाऊँ
पड़े जरूरत सिख बन जाऊँ।
कभी जरूरत मुस्लिम भो हूँ,
कभी बनूँ मैं मैौद्ध ईसाई।
क्योंकि मैं अनासक्त हूँ भाई,
नहीं पंथ का भक्त हूँ भाई।

पंथ ज्ञान के रस्ते सारे,
तो सब के सब हुए हमारे।
गणित कभी बायो पढ़ता हूँ,
पुस्तक से खुद को गढ़ता हूँ।
पर इनकी ना करता पूजा,
पड़े जरूरत पढ़ता दुजा।
निजप्रज्ञा अभिवर्धन राही,
ज्ञानासक्त हरवक्त भाई?
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई।

मेरा तन हीं मेरा धन हैं,
तनमन अर्पित हीं निज मन है।
मैं हूँ तो ये पंथ है सारे,
देश धर्म भी बने हमारे।
मुझसे हीं ये सब फलते हैं,
खुद में हीं अनुरक्त हूँ भाई।
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई,
पंथों में ना सख़्त हूँ भाई।

अजय अमिताभ सुमन

कृष्ण में अभिव्यक्ति है शक्ति की भक्ति की

 कृष्ण में अभिव्यक्ति है शक्ति की भक्ति की,

कर्म से आसक्ति तो फल से भी विरक्ति की।
राधा के कान्हा तो शकुनि के छलिया हैं,
काल दुर्योधन के मुरली के रसिया हैं।
कल्मष विकर्म आदि पातक प्रतिकूल वो,
धर्म कर्म मर्म आदि जिनके अनुकूल हो।
सृष्टि की क्रिया प्रतिक्रिया के चक्र हैं,
सृष्टि के कर्ता भी कारक पर अक्र हैं।
साम,दाम,दंड, भेद ,विषदंत आवेग आदि,
लोभ का संवेग ना हीं मोह संवेग व्याधि।
युद्ध हो समक्ष गर जो शस्त्रों में दक्ष हैं,
पक्ष ना विपक्ष में ना कोई समकक्ष है।
आगत जो काल भी है , काल जो व्यतीत भी,
चल रहा जो आज भी है , गुजरा अतीत भी।
मन की चंचलता में, चित्त के अवधारण में,
सृष्टि की सृजना संरक्षण संहारण में।
रूप रंग देह धारी दृश्य दृष्टित भिन्न वो,
सृष्टि की भिन्नता से भिन्न अवच्छिन्न वो।
कृष्ण सर्व सत्व आदि तत्व अनेकार्थ है,
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है।

Sunday, September 15, 2024

धर्म निरपेक्षी गिद्ध

धर्म निरपेक्षी गिद्ध

धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया,

ये तो भारी सिद्ध है भैया।

इस गिद्ध की आदत ऐसी,
भारत के किसी नर के जैसी ।
घात लगाए दूर से रहता,
दंगा मुर्दा सूंघ के रहता।
इसी बात की इसको चिंता,
भाड़ में जाए बाकी जनता।
कोई दुर्घटना हो जाए,
घड़ियाली ये नीर बहाए।
अभिनय मैं अति सिद्ध है
भैया, धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया।

अगर भ्रांति ना भारत में हो,
अगर शांति हाँ भारत में हो,
तब इसको होती परेशानी,
छद्म क्रांति की रचे कहानी।
जाति धर्म ना देखे भाई,
एक लाश हीं देखे भाई।
इसके देखे एक बराबर,
सब मुर्दों का टेस्ट बराबर।
अमन शांति का ना अभिलाषी,
छुपा हुआ ये भारतवासी।
रक्तातुर अति शीघ्र है भैया
धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया।

अजय अमिताभ सुमन

Saturday, September 7, 2024

धनिया नींबू दाम बढ़ेगा,


धनिया नींबू दाम बढ़ेगा,
धनिया नींबू दाम बढ़ेगा,
कब तक बोलो कब तक?
सी.एन.जी. का नाम बढ़ेगा,
कबतक आखिर कबतक?
जनता की पीड़ा तो हर लो,
कीमत आटे की कम कर लो।
रोटी के अन्धे क्या गाए ,
बेहतर भारत कब तक?
भूख मिटी तो सब नाचेंगे ,
बेस्ट देश है सब गाएंगे।
पेट क्षुधा की मार है भारी ,
देश प्रेम पे अब तक।
भारत की तुम गाथा गाते,
पावन मिट्टी कथा बताते।
दिल की अपनी पीड़ सुनाएं,
व्यथा बताएं कब तक?
सारे जहाँ से सच्चा कैसे?
देश हमारा अच्छा कैसे?
कंधे पर क्यों झंडा लाएं?
त्राण मिलेगा कब तक?
धनिया नींबू दाम बढ़ेगा,
कब तक बोलो कब तक?


अजय अमिताभ सुमन

My Blog List

Followers

Total Pageviews