Sunday, September 15, 2024

धर्म निरपेक्षी गिद्ध

धर्म निरपेक्षी गिद्ध

धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया,

ये तो भारी सिद्ध है भैया।

इस गिद्ध की आदत ऐसी,
भारत के किसी नर के जैसी ।
घात लगाए दूर से रहता,
दंगा मुर्दा सूंघ के रहता।
इसी बात की इसको चिंता,
भाड़ में जाए बाकी जनता।
कोई दुर्घटना हो जाए,
घड़ियाली ये नीर बहाए।
अभिनय मैं अति सिद्ध है
भैया, धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया।

अगर भ्रांति ना भारत में हो,
अगर शांति हाँ भारत में हो,
तब इसको होती परेशानी,
छद्म क्रांति की रचे कहानी।
जाति धर्म ना देखे भाई,
एक लाश हीं देखे भाई।
इसके देखे एक बराबर,
सब मुर्दों का टेस्ट बराबर।
अमन शांति का ना अभिलाषी,
छुपा हुआ ये भारतवासी।
रक्तातुर अति शीघ्र है भैया
धर्मनिरपेक्षी गिद्ध है भैया।

अजय अमिताभ सुमन

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