Saturday, January 27, 2024

जबतक श्रम का सम्मान नहीं

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जबतक श्रम का सम्मान नहीं


तबतक पथ पर विश्राम नहीं जबतक श्रम का सम्मान नहीं।

धूल शूल सब कंकड़ पत्थर सुख दुख अनुभव सभी आवश्यक।

फूल की खुशबू प्यारी तन को शूल चुभन मन अति आवश्यक।

फले नहीं हों स्वअनुभव जो जीवन पथ पर धूप छांव के।

क्या  राही बन सकता कोई घिसे नहीं पद छाप पांव के?

बिना क्षुधा के फल क्या बंधु, बिना बीज के हल क्या सिंधु?

बिना पसीना फल के मिल जाने में है गुणगान नहीं।

कि हाथों में सोना होता पर इसकी पहचान नहीं।


अजय अमिताभ सुमन

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