Sunday, August 22, 2021

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:18


============================
इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् सत्रहवें भाग में दिखाया गया जब कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा ने देखा कि पांडव पक्ष के योद्धाओं की रक्षा कोई और नहीं , अपितु कालों के काल साक्षात् महाकाल कर रहे हैं तब उनके मन में दुर्योधन को दिए गए अपने वचन के अपूर्ण रह जाने की आशंका होने लगी। कविता के वर्तमान भाग अर्थात अठारहवें भाग में देखिए इन विषम परिस्थितियों में  भी अश्वत्थामा ने हार नहीं मानी और निरूत्साहित पड़े कृपाचार्य और कृतवर्मा को प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास किया। प्रस्तुत है दीर्घ कविता दुर्योधन कब मिट पाया का अठारहवाँ भाग।
===========================
अगर  धर्म  के  अर्थ  करें तो  बात  समझ  ये आती है,
फिर मन के अंतरतम में कोई दुविधा रह ना पाती  है।
भान हमें  ना  लक्ष्य हमारे  कोई पुण्य विधायक  ध्येय,
पर  अधर्म  की राह नहीं हम भी ना  मन  में  है  संदेह।  
============================
बात सत्य है अटल तथ्य ये  बाधा अतिशय भीषण है  ,
दर्प होता  योद्धा को जिस बल का पर एक परीक्षण है ।  
यही समय है हे कृतवर्मा निज भुज बल के चित्रण  का,
कैसी शिक्षा मिली हुई क्या असर हुआ है शिक्षण का। 
============================
लक्ष्य समक्ष हो विकट विध्न तो झुक  जाते हैं  नर अक्सर,
है  स्वयं सिद्ध करने को योद्धा चूको ना  स्वर्णिम अवसर।
आजीवन  जो भुज बल का  जिह्वा से  मात्र पदर्शन करते,
उचित सर्वथा  भू अम्बर भी कुछ तो इनका दर्शन करते।
============================
भय करने का समय नहीं ना विकट विघ्न गुणगान का,
आज अपेक्षित योद्धा तुझसे  कठिन  लक्ष्य संधान का।  
वचन  दिया  था जो हमने  क्या  महा  देव से  डर जाए?
रुद्रपति  अवरोध   बने हो  तो  क्या डर कर  मर जाए?
============================
महाकाल के अति सुलभ  दर्शन  नर  को ना ऐसे   होते ,
जन्मों की हो अटल तपस्या तब जाकर अवसर मिलते।
डर कर मरने से श्रेयकर है टिक पाए हम इक क्षण को,
दाग  नहीं  लग   पायेगा  ना  प्रति बद्ध  थे निज प्रण को।
============================
जो  भी  वचन  दिया  मित्र  को  आमरण  प्रयास  किया,
लोग  नहीं  कह  पाएंगे  खुद  पे  नाहक  विश्वास किया।
और   शिव   के  हाथों  मरकर भी क्या हम मर पाएंगे?
महाकाल   के  हाथों   मर  अमरत्व   पूण्य   वर पाएंगे।
============================
अजय अमिताभ सुमन: सर्वाधिकार सुरक्षित

No comments:

Post a Comment

My Blog List

Followers

Total Pageviews