मेरा खेल है मुझे खेलने दो तुम अपनी चाल,
मेरे हाथी है मेरे ऊंट तुम करते क्यों हो सवाल?मेरा घोड़ा मरा यहाँ पर ,हो तुम क्यों परेशान?
मेरा खेल है, मेरी चाल है, घोड़े का बलिदान।
मेरा जीवन है और मुझे है यदि स्वर्ग की चाह,
मेरा मरण ही पहली पग पर, मांगे स्वर्ग की राह।
तुम्हे चाहिए जीत हमारी, है आभार तुम्हारा,
पर तेरे निर्देश से बाधित, होता खेल हमारा।
तुम ज्ञानी हो, तुम मानी हो , इसका मुझको ज्ञान,
पर चींटी का भी तो होता, है अपना स्वाभिमान।
मेरा देश है, मेरा वेश है, मेरी जीत और हार,
मेरी राह है ,मेरा जीवन, सबकुछ है स्वीकार।
मेरी चाल पर किंचित ना हो, तुम भी यूँ हैरान,
हार की गलियों से ही चलकर बनते लोग महान।
No comments:
Post a Comment