Friday, October 25, 2024

वेदना

इस जगत में वेदना का, 

दरअसल निदान क्या हो? 

कष्ट पीड़ा से हो मुक्ति,

वेदना परित्राण क्या हो। 

शक्ति संचय से अगर हीं, 

वेदना परित्याग त्याग हो तो, 

पद प्रतिष्ठा से अगर, 

संवेदना परित्याग हो तो। 

जग को जीता हुआ, 

जग त्याग बिन बोले हुए। 

क्यों सिकंदर जा रहा था, 

हाथ को खोले हुए।

हिम शिखर सी भी ऊंचाई, 

प्राप्त कर निर्मुक्त हो,

क्या तुझे दृष्टति है मानव, 

जो पीड़ा से मुक्त हो?

शक्ति संचय से कदाचित, 

नर की चाहत बढ़ हीं जाती,

पद प्रतिष्ठा मान शक्ति ,

नर के सर में चढ़ ही जाती।

किंतु हासिल सुख हो अक्षय,

धन आदि परिमाण क्या हो?

इस जगत में वेदना का ,

दरअसल निदान क्या हो?

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