Saturday, August 3, 2024

उमस

ये गर्मी उमस की है गर्मी ना बस की। 

जाती ना तन से खुजली अपरस की। 

टप टप टप टप टप टप चलता पसीना।

कि घातक दुपहरी सा जलता महीना।  

लुकछिप कर बिजली ये आती है जाती। 

कि कूलर से कमरे की गरमी ना जाती।

कपड़े सब मैले हम धोए कहाँ पर। 

रह रह कर बारिश आ जाती है छत पर। 

गिली पड़ी है चादर जस की तस की। 

ये गर्मी उमस की, है गर्मी ना बस की। 

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