Sunday, July 28, 2024

ट्युसन से ना मिले आराम

ट्युसन से ना मिले आराम

होम वर्क मिले सुबहो शाम, ट्युसन से ना मिले आराम, 
पाँच दिन छुट्टी की कर दे  , दे दे  खाँसी और  जुकाम। 

दूध देख के उल्टी आती , भिन्डी भी है बहुत सताती,
खाने की भी चीज है कोई ,बैगन कटहल लौकी भाजी।

मैगी बर्गर गरम समोसे , छोले कुलचे इडली डोसे , 
दूध मलाई मक्खन हलवा ,दादी भर भर नरम पड़ोसे।

छोटा सा हीं बालक हूँ मैं, छोटा सा हीं काम पड़ा है, 
सच्चे भक्तों की सुनते हो , भगवन तेरा नाम बड़ा है। 

तुझे कुछ भी छिपा नहीं कुछ, इतना सा माँगू वरदान,
मोच टांग में टीचर को दे , बस इतना सा हीं अरमान। 

अजय अमिताभ सुमन: सर्वाधिकार सुरक्षित

Friday, July 26, 2024

आहट

गर्मी की लहरें क्या आफत बड़ी थी, 

तपती दुपहरी में शामत पड़ी थी। 


खिड़की से आती थी लू की वो लपटें, 

जी को बस ठंडक की चाहत बड़ी थी। 


जरूरी नहीं कि लू लहरी कुछ नम हो, 

इतना हीं काफी कि गर्मी कुछ कम हों। 


बारिश जो आई है ठंडक जो लाई है 

मेघों की आहट से राहत बड़ी थी। 


अजय अमिताभ सुमन

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